डाक कांवड़ की भागम-भाग, सात घंटे में 150 किमी. की दौड़, हर टीम पर दो लाख तक का खर्च

मेरठ: हरिद्वार से गंगाजल लेकर आने वाली डाक कांवड़ में शिवभक्तों की रफ्तार और जुनून कमाल का है। हर की पौड़ी से शहर में बाबा औघड़नाथ मंदिर तक करीब 150 किलोमीटर की दूरी शिवभक्त दौड़कर पूरा करेंगे। इसमें सात घंटे से लेकर साढ़े सात घंटे तक यात्रा पूरी होती है। डाक कांवड़ में 30 से 50 शिवभक्तों की टोलियां पूरे इंतजाम के साथ चल रही हैं। ऐसी कांवड़ पर 80 हजार से दो लाख रुपये तक का खर्च आया है।
केसरिया और नीली पोषाक में शिवभक्तों की टोलियां सड़कों पर दौड़ते हुए मंदिरों तक पहुंचेंगी। डाक कांवड़ की खासियत यह है कि समय अवधि को लक्ष्य मानकर हर की पौड़ी से जल उठाया जाता है। निश्चित समय अवधि में शिवालयों में जलाभिषेक किया जाता है। इस बार जिले से 155 डाक कांवड़ गई हैं। इसमें सरधना, दौराला, रोहटा, मवाना, खरखौदा क्षेत्र के विभिन्न गांव की टीमें हैं।
प्रत्येक डाक कांवड़ टीम में 15 से 50 शिवभक्त होते हैं। यह यात्रा दौड़ते हुए पूरी की जाती है। बोल बम और हर-हर महादेव के जयघोष के साथ कांवड़िया निरंतर दौड़ते हुए आगे बढ़ते हैं। डाक कांवड़ लाने में 80 हजार से दो लाख तक खर्च आता है। इसमें कैंटर, जेनरेटर, खाद्यान्न में जूस, ओआरएस, चार से आठ बाइकें मुख्य रूप से शामिल होती हैं। कुछ डाक कांवड़ियों ने इस बार अपनी गाड़ियों को राम मंदिर, अघोरी और तिरंगा रूप में सजाया है।
दो अलग अलग युवक दौड़ते हैं जल लेकर
हर की पौड़ी से जल उठाने के बाद दो अलग-अलग युवक बोतल या पाइप जैसे पात्र में जल लेकर दौड़ते हैं। एक युवक के सहयोग में तीन बाइकें होती हैं। इनमें एक बाइक पर तीन से चार युवक पहले से बैठे होते हैं। एक युवक एक बार में 50 से 100 मीटर दौड़ता है। इस बीच बाइक पर बैठा दूसरा युवक बाइक से उतरकर उसके हाथ से बोतल लेकर दौड़ना शुरू कर देता है। दूसरी बाइक थके हुए युवक को कैंटर में पहुंचाती है।
कैंटर में आराम कर तैयार हुए युवक को बाइक पर दौड़ने वाले स्थान पर पहुंचाया जाता है। दोनों युवक जल देने और लेने के कार्य को दौड़ते हुए ही करते हैं। हरिद्वार से गांव के शिवालय तक यही क्रम चलता रहता है। शिवालय में जलाभिषेक कर यात्रा पूर्ण होती है। दो युवक अलग-अलग बोतल में जल लेकर इसलिए दौड़ते हैं, अगर एक जल गिरकर खंडित हो जाए तो दूसरी जल की केन सुरक्षित रहे।