आम आदमी पार्टी की राजनीति में बदलाव, ‘हाथ’ से हर तरह की दूरी बना रहे केजरीवाल; कितनी बदलेगी सियासी बयार?

नई दिल्ली:  इंडिया ब्लॉक ने आज एक बैठक कर केंद्र सरकार से संसद का विशेष सत्र बुलाने का अनुरोध किया। इसका उद्देश्य ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम हमले पर चर्चा कराना है। बैठक के बाद विपक्ष के नेताओं ने प्रधानमंत्री के नाम एक पत्र लिखकर सदन बुलाने की मांग की। लेकिन इस महत्त्वपूर्ण घटनाक्रम से आम आदमी पार्टी ने दूरी बनाकर रखी।

पहले तो आम आदमी पार्टी नेता बैठक में शामिल नहीं हुए, लेकिन बाद में आम आदमी पार्टी सांसद संजय सिंह ने एक पत्र लिखकर इस मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग की। यानी आप ने विपक्ष के मुद्दे से तो सहमति रखी, लेकिन कांग्रेस के नेतृत्व में हो रही इंडिया गठबंधन के दलों की बैठक से किनारा किया।

संजय सिंह ने यहां तक घोषणा कर दी कि इंडिया गठबंधन लोकसभा चुनावों तक के लिए था। अब उसकी कोई प्रासंगिकता नहीं है। विपक्ष के मुद्दों के साथ सहमति होने के बाद भी कांग्रेस ने इस बैठक से दूरी क्यों बनाई। हालांकि, इसके पहले इंडिया गठबंधन के कुछ अन्य नेताओं ने भी इंडिया गठबंधन के समाप्त होने की बात कही थी।

दरअसल, दिल्ली विधानसभा चुनावों में इस बार कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी से अलग होकर चुनाव लड़ा था। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि आम आदमी पार्टी को दिल्ली में हराने का सबसे प्रमुख कारण कांग्रेस ही बनी। दिल्ली की कम से कम 25 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जिनमें आम आदमी पार्टी की हार का कारण कांग्रेस बनी। इसमें एक दर्जन के करीब सीटें ऐसी थीं जिन पर कांग्रेस के उम्मीदवारों को मिले वोट भाजपा के जीते उम्मीदवार और आप के हारे हुए उम्मीदवार के बीच के अंतर से अधिक थे। माना जा रहा है कि दिल्ली चुनावों में हार की यह तल्खी दोनों पार्टियों में बड़ी दरार का कारण बन गई है।

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