धनखड़ ने जज के घर से नकदी बरामदगी पर जताई चिंता, बोले- न्यायपालिका के लिए ‘आइड्स ऑफ मार्च’ जैसी चेतावनी

कोच्चि: उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को कहा कि दिल्ली में एक जज के सरकारी आवास से भारी मात्रा में नकदी मिलने की घटना की आपराधिक जांच होनी चाहिए। उन्होंने इस घटना की तुलना ‘आइड्स ऑफ मार्च’ से की। आइड्स ऑफ मार्च रोमन कैलेंडर में 15 मार्च की तारीख को कहा जाता है। यह इतिहास में इसलिए प्रसिद्ध है, क्योंकि 44 ईसा पूर्व इसी तारीख पर रोम के सम्राट जूलियस सीजर की हत्या कर दी गई थी। उन्हें उनके ही भरोसेमंद साथियों ने धोखे से मार दिया था। इसलिए, आइड्स ऑफ मार्च अब धोखाधड़ी, षड़यंत्र और विश्वासघात का प्रतीक बन चुका है।
धनखड़ ने कहा कि अगर वहां नकदी मिली है, तो शासन प्रणाली को तुरंत हरकत में आना चाहिए था। सबसे पहला कदम इसे आपराधिक मामला मानना, दोषियों का पता लगाना और उन्हें न्याय के कटघरे में लाना होना चाहिए था। कोच्चि स्थित नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ एडवांस्ड लीगल स्टडीज (एनयूएएलएस) में छात्रों और संकाय को संबोधित करते हुए उप राष्ट्रपति ने कहा कि जिस तरह जज के घर नकदी मिली, वह न्यायपालिका के लिए ‘आइड्स ऑफ मार्च’ जैसी चेतावनी है।
उन्होंने बताया कि 14-15 मार्च की रात भारी मात्रा में नकदी मिलने की बात आधिकारिक रूप से मानी गई, लेकिन अब तक कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई। उन्होंने चिंता जताई कि इस मामले को शुरुआत से ही आपराधिक मामला माना जाना चाहिए था।
धनखड़ ने कहा कि केंद्र सरकार इस पर कार्रवाई करने में असमर्थ है, क्योंकि 1990 के दशक की एक सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था के अनुसार, इस तरह के मामलों में प्राथमिकी दर्ज नहीं की जा सकती, जब तक कि कुछ विशेष प्रक्रियाएं पूरी न हो जाएं। उप राष्ट्रपति का यह बयान उस समय आया है, जब ऐसी खबरें हैं कि जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ संसद में महाभियोग की प्रक्रिया शुरू हो सकती है। उनके दिल्ली स्थित सरकारी आवास में आग लगने के बाद नकदी मिलने की जानकारी सामने आई थी।
जस्टिस वर्मा ने सभी आरोपों से इनकार किया है और इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एक समिति को अपना जवाब भी सौंपा है। हालांकि, इसके बावजूद उनके न्यायिक कार्यों पर रोक लगाई गई और बाद में उनका तबादला इलाहाबाद हाईकोर्ट कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने वहां के चीफ को निर्देश दिया है कि फिलहाल उन्हें कोई न्यायिक काम न सौंपा जाए। इस मामले की जांच कर रही समिति ने अब तक 50 से अधिक लोगों के बयान दर्ज किए हैं। इनमें दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा और दिल्ली दमकल सेवा के प्रमुख अतुल गर्ग भी शामिल हैं, जो घटना के समय सबसे पहले मौके पर पहुंचे थे।