‘धर्म की आड़ में जमीन पर डाका नहीं चलेगा’, इंद्रेश कुमार की दो टूक

नई दिल्ली:जब किसी महिला को अपनी पुश्तैनी जमीन की रक्षा के लिए दर-दर भटकना पड़े, जब कानूनी दस्तावेज होते हुए भी डराया-धमकाया जाए, तो यह न सिर्फ उसकी व्यक्तिगत पीड़ा होती है, बल्कि उस पूरी न्याय प्रणाली पर सवाल बन जाती है, जिस पर हमारा संविधान टिका है। मध्यप्रदेश की बेटी शमीम बानो इसी विडंबना से जूझ रही हैं। शमीम बानो ने दिल्ली पहुंचकर मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की राष्ट्रीय संयोजक डॉ. शालिनी अली से संपर्क किया। डॉ. शालिनी ने उनकी व्यथा को गंभीरता से लिया और उन्हें मंच के मार्गदर्शक इंद्रेश कुमार से मिलवाया।

इंद्रेश कुमार ने स्पष्ट शब्दों में कहा, ‘शमीम बानो अकेली नहीं हैं। जिस समाज ने वक्फ को मजलूमों और बेसहारा मुसलमानों के उत्थान के लिए बनाया था, उसी को हथियार बनाकर महिलाओं की संपत्ति छीनना किसी भी हाल में स्वीकार नहीं होगा। वक्फ का मकसद समाज सेवा है, कब्जा नहीं।’ उन्होंने यह कहा, ‘यह केवल उज्जैन की एक महिला की लड़ाई नहीं, यह हर उस मजलूम की लड़ाई है जो धर्म की आड़ में प्रताड़ना सह रहा है। हम सबको मिलकर नए वक्फ संशोधन कानून के सही और ईमानदार इंप्लीमेंटेशन के लिए काम करना होगा। देशभर के गरीब और बेसहारा मुसलमान इस विधेयक की पारदर्शिता और जवाबदेही की भावना से जुड़ी उम्मीदों के साथ देख रहे हैं। उन्हें इसका बेसब्री से इंतजार है।’

शमीम बानो की लड़ाई उस जमीन की है, जिसकी रजिस्ट्री वर्ष 1935 में उनके दादा मोहम्मद हाफिज के नाम दर्ज हुई थी। उज्जैन में जमीन की मालिकाना हकदारी वर्षों से उनके परिवार के पास रही। उनके पास हर कानूनी दस्तावेज मौजूद हैं। बावजूद इसके इस जमीन के 1800 स्क्वायर फीट हिस्से पर एक काल्पनिक ‘मस्जिद खैर’ के नाम पर अवैध कब्जा किया जा रहा है। सबसे खतरनाक पक्ष है फर्जी डोनेशन डीड, जिसमें फर्जी हस्ताक्षर कर जमीन पर दावा किया गया है।

शमीम बानो की सरकार से मांग है कि फर्जी डोनेशन डीड की न्यायिक व फॉरेंसिक जांच कर दोषियों को गिरफ्तार किया जाए। उन्हें और उनके परिवार को सुरक्षा दी जाए। जहां अवैध निर्माण और कब्जा हुआ है, वहां प्रशासनिक कार्रवाई हो। वक्फ बोर्ड की भूमिका की स्वतंत्र जांच कर दोषी अधिकारियों को दंडित किया जाए।

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