इन देशों में हृदय रोगों से मौत का खतरा सबसे अधिक, शोध में इन पांच कारणों को माना गया जिम्मेदार

हृदय रोग वैश्विक स्तर पर मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक हर साल हृदय की तमाम बीमारियों के कारण लाखों लोगों की मौत हो जाती है। एक अन्य अध्ययन के मुताबिक साल 2022 में भारत में हार्ट अटैक के कारण होने वाली मौतों के आंकड़ों में 12 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है, साल-दर साल इस रोग का खतरा बढ़ता ही जा रहा है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, हृदय रोगों के कई कारण हो सकते हैं। लाइफस्टाइल और आहार में गड़बड़ी के अलावा कोरोना महामारी के कारण भी इसका बढ़ा हुआ जोखिम देखा जा रहा है। अध्ययनकर्ता सभी उम्र के लोगों को इससे बचाव के लिए प्रयास करते रहने की सलाह देते हैं।

इस बीच एक हालिया अध्ययन में वैज्ञानिकों ने विश्व के कुछ हिस्सों में हृदय रोगों और इसके कारण होने वाली मौतों के खतरे को लेकर सभी लोगों को अलर्ट किया है। अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि एशिया, यूरोप, अफ़्रीका, मध्य पूर्व में हृदय रोगों से होने वाली मौतों का सबसे जादा खतरा देखा जा रहा है। आखिर इसके क्या कारण हैं, आइए विस्तार से समझते हैं।

बढ़ते हृदय रोगों का कारण

शोधकर्ताओं ने 21 रीजन्स के डेटा का विश्लेषण करने के बाद पाया कि वैश्विक स्तर पर, हृदय रोग से संबंधित मौतों के आंकड़े 1990 में 12.4 मिलियन से बढ़कर 2022 में 19.8 मिलियन पहुंच गए है, जो ऐसी बीमारियों की उच्च दर को दर्शाता है। उन्होंने आगे पाया कि अध्ययन किए गए 204 स्थानों में से 27 में इन मौतों की दर 2015-2022 के बीच में बढ़ी है।

हृदय-स्वस्थ की बढ़ती समस्याएं

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ और इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (आईएचएमई), वाशिंगटन के शोधकर्ताओं ने कहा ये आंकड़े वैश्विक जनसंख्या वृद्धि और उम्र बढ़ने के साथ इन रोगों के लिए मेटाबॉलिज्म, पर्यावरण संबंधी समस्याओं के जोखिमों को भी दर्शाते हैं।

इस्केमिक हृदय रोग बड़ा खतरा

जर्नल ऑफ द अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया कि इस्केमिक हृदय रोग, कार्डियोवैस्कुलर डिजीज (सीवीडी) के कारण होने वाली मृत्यु दर का प्रमुख कारण बना हुआ है, जो प्रति एक लाख की जनसंख्या पर लगभग 110 मौतों का कारण बन रहा है। इसके बाद ब्रेन हैमरेज और इस्कीमिक स्ट्रोक के कारण सबसे ज्यादा मौतें दर्ज की जा रही हैं। बड़े स्तर पर युवा आबादी भी इसका शिकार हो रही है।

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